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निर्देशक, निर्माता और और सेंसर ने भी कैसे नज़र अंदाज किया तिरंगे का अपमान बटालियन 609 (स्टार 2/5)

प्लाट फिल्म आर्मी बेस्ड है नया पैन सिर्फ इतना जंग से नहीं खेल से मशले  हल हो सकते हैं वह भी क्रिकेट मैच | हसने की बात नहीं यह फिक्शन है | 

फिल्म : बटालियन 609 
डायरेक्टर :  बृजेश बटुकनाथ त्रिपाठी 
निर्माता : नारायणदास लालवानी 
कास्ट : शोएब इब्राहिम, एलेना कज़न. फरनाज शेट्टी, स्पर्श शर्मा, विश्वास किनी  
संगीत  शैलेन्द्र सयंती & संजय चौधुरी 
स्टार : 2/5 
समीक्षक  : पुष्कर ओझा 
 
 
   फिल्म की कहानी शुरू होती है कामराज मिश्रा (शोएब इब्राहिम ) बटालियन 609 का हेड है जो अपने टीम के साथ हिंदुस्तान - पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात है |  बात करे टीम की तो इस टीम में बेबाक जसपाल सिंह उर्फ़ जस्सी ( स्पर्श शर्मा ) जो मिमिक्री कर अपने जवानों के साथ हसी के पल बिखरता हैं | टीम के मेंबर में एक मुस्लिम चेहरा है इक़बाल कुरैशी ( विश्वास किनी ) का | खेर कहानी आगे बढ़ती हैं एक दिन अचनाक पाकिस्तान बॉर्डर पर गॉड ऑफ़ क्रिकेट यानि सचिन तेंदुलकर को भला बुरा कहा जाता हैं जो हिंदुस्तान के जवानों को पसंद ही नहीं बल्कि गुस्सा दिलाता हैं | और फिर अचनाक पाकिस्तान बटालियन सीनियर अनवर हिंदुस्तान के कामराज के साथ मैच खेलने की बात कहते हैं दोनों मान भी लेते हैं |  पाकिस्तान बटालियन शर्त रखते हैं अगर मैच वह जीतेंगे तो १८ किलोमीटर तक हिंदुस्तान में घुस जायेंगे और हारे तो हिंदुस्तानी १८ किलोमीटर पाकिस्तान में | इस बिच फिल्म में तालिबान भी नज़र आया | दिखाया यह भी गया है की तालिबान ही सब कुछ कर रहा न की पाकिस्तान | चलिए मैच की खबर जब तालिबान के अल नज़र ( विकास श्रीवास्तव ) को होती हैं तो वह बॉर्डर पर हमला करवा देता है, जिसमे एक हिंदुस्तानी  जवान की मौत हो जाती है | कहानी मोड़ लेती है पूरी बातलियान का कोर्ट मार्शल होने की बात चलती है, पर अचनाक आर्मी हेड कोटर में क्रिकेट मैच की बात होती है उन्ही शर्त के साथ बात पी एम तक पहुँचती है और फिल्म आगे बढ़ती है क्रिकेट मैच शुरू आगे फिल्म देख लेना | 
 
बात करते हैं अभिनय  की तो शोएब इब्राहिम ने अच्छी कोशिस की हैं हँसाने में कामयाब रहे स्पर्श शर्मा वह मुस्लिम किरदार को जस्टिफाय करे विश्वास किनी ने वही एलेना कज़न ने अपना तो फ़र्ज़न शेट्टी ने भी बिजली का किरदार ठीक ठाक  निभाया हैं  अन्य कलाकारों ने भी ओके ही अभिनय किया | 
कमजोर कड़ी की बात करते हैं  तो लाइन लगी हैं 
१) बॉर्डर पर किसी को इन्फॉर्म न कर इतना बड़ा डिसिशन बटालियन प्रमुख लेता हैं ( फिक्शन है )
२ ) बॉर्डर की तारो को दोनों तरफ तोड़ कर कामराज अपनी मेहबूबा के पास जाते हैं पोस्ट पर सिर्फ दो जवान छोड़ 
 ३ ) क्रिकेट मैच के दौरान तिरंगे झंडे को फटा हुआ दिखाया गया , यहाँ तक एक सीन में झंडे की सिलाई भी ठीक से नहीं की गयी साफ़ नज़र आया 
सेंसर वालो की भी नज़र नहीं गई | 
फिल्म देख आपको यह फील ही नहीं आयेंगा की यह देश भगती फिल्म हैं | 
 
मेरे ख्याल से फिल्म न देखे टी वी पर आने का इंतज़ार कर लेना |